उत्तर प्रदेश में स्थित राजा आत्मा राम की ऐतिहासिक संभल की बावड़ी इतिहास के रहस्य और संरक्षण की चुनौतियाँ जिसने ने सभी को चिंतित कर दिया है।भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम ने बावड़ी का निरीक्षण करने के बाद पाया कि बावड़ी की दीवारें कमजोर हो चुकी हैं, मंजिल के नीचे रेत जमा हो गई है और हवा में ऑक्सीजन की कमी है। इन सब कारणों से, बावड़ी के अंदर जाने में काफी खतरा है।
एक अनमोल धरोहर:
यह बावड़ी 1720 में राजा आत्मा राम द्वारा बनवाई गई थी और अपने समय में पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत थी। बावड़ी की खूबसूरत वास्तुकला और इतिहास इसे एक अनमोल धरोहर बनाती है। खुदाई के दौरान मिले लेंटर और अन्य संरचनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि यह बावड़ी न केवल पानी का स्रोत थी बल्कि सैनिकों के लिए आराम करने की जगह भी थी।
खतरे की घंटी:
हालांकि, खुदाई के दौरान सामने आए तथ्यों ने बावड़ी के संरक्षण पर सवाल उठाए हैं। बावड़ी की दीवारें कमजोर हो चुकी हैं और मंजिल धंसने का खतरा है। इसके अलावा, बावड़ी के अंदर ऑक्सीजन की कमी भी एक बड़ी समस्या है। ASI ने मजदूरों को बावड़ी के अंदर जाने से मना कर दिया है और खुदाई के काम को सावधानी से करने के निर्देश दिए हैं।
संरक्षण की चुनौतियाँ:
ऐसी ऐतिहासिक धरोहरों को बचाना एक बड़ी चुनौती है। समय के साथ, प्राकृतिक कारणों और मानवीय गतिविधियों के कारण इनमें क्षति हो जाती है।
बावड़ी के संरक्षण के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
- विस्तृत अध्ययन: ASI को बावड़ी की स्थिति का विस्तृत अध्ययन करना चाहिए और इसे बचाने के लिए एक विस्तृत योजना तैयार करनी चाहिए।
- मरम्मत कार्य: बावड़ी की क्षतिग्रस्त दीवारों और संरचनाओं की मरम्मत की जानी चाहिए।
- संरक्षण: बावड़ी को पर्यावरणीय प्रभावों से बचाने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए।
- जागरूकता: लोगों को इस ऐतिहासिक धरोहर के महत्व के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।
आगे का रास्ता:
संभल की बावड़ी को बचाना हम सभी की जिम्मेदारी है। हमें मिलकर प्रयास करना होगा कि इस अनमोल धरोहर को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखा जा सके।
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